Dus dit is zomer
Dus dit is zomer
denkt de weduwnaar
van de door de kat gepakte
lijster als hij amechtig
onder struiken schuilt
Dus dit is zomer, dit vibrerende zand
van lijven, waar de zon haar pelgrims
tegen rotting dichtschroeit
denkt de beschermheilige
in zijn kerkelijke koelte
Dus dit is zomer, hapert de herfst, zwijgt
de kastspin, keilen vliegen zich door kamers
gapen katten in gangpaden, vloeien weiden
groen door ramen, koppen golven surfers
naar elkaar, dwalen ogen naar bikinimeisjes
Doch het is zomer, dus bij avond
spreidt als een mooie gedachte
ook de weduwnaar zich open
vliegt een boom in, beziet
het duister en huldigt de dag
Job Degenaar
गर्मी की ऋतु है यह
.तपती हुई गर्मी की ऋतु है यह
विधुर पंछी अकेला और उदास,
अपनी साथिन भूरी सारिका को सोचता है
उस पल को याद करता है
जब उसे बिल्ली ने दबोच लिया था
और मार डाला था
तब वह कैसे डरा हुआ गति से झाडियों में
छुपने की कोशिश कर रहा था
तपिश भरी गर्मी की ऋतु है यह
समुद्र किनारे धूप सेंकते
लोगों की देह पर स्पन्दित बालू
जहाँ सूर्य तीर्थयात्रियों को
अपने तीखे ताप से झुलसा रहा है,
सन्तप्त कर रहा है
गिरिजाघर का संरक्षक संत
अपनी धार्मिक गुरुता के
धैर्य और शान्त आवरण तले
वैराग और तटस्थता से सोचमे डूबा है
आह ! तमतमाया हुआ यह ग्रीष्मकाल
उधर लड़खडाता, डगमगाता, पतझड़
खामोशी ओढ़े हुए है
उदास और संजीदा है
अलमारियों में छुपी रहने वाली
मकडी के तिकोने से जाले
कमरों में इधर-उधर झूल रहे है
चर्च के बगली रास्ते में
संकरे गलियारे में बिल्ली बैठी हुई
जम्भाई ले रही है
खिडकियों से दूर तक लहराते
मखमली हरे चारागाह नज़र आ रहे हैं
सागर की लहरों पर सर्फिंग करने वाले
लोग एक दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं
नारी देह को देखने की लोभी आँखे,
बार-बार बिकनी बालाओं पर जा रही है
खैर, गर्मी का खुश्क मौसम है यह
सो, लम्बे दिन के बाद शाम होने तक
विधुर पंछी भी एक उम्दा ख्याल की तरह
अपने पंख खोल कर पसारता है
स्याह अँधेरे को गौर देखते हुए
और दिन का सत्कार सा करते हुए
और एक वृक्ष पर जा बैठता है ...!!
(Translation into Hindi: Deepti Gupta )
.तपती हुई गर्मी की ऋतु है यह
विधुर पंछी अकेला और उदास,
अपनी साथिन भूरी सारिका को सोचता है
उस पल को याद करता है
जब उसे बिल्ली ने दबोच लिया था
और मार डाला था
तब वह कैसे डरा हुआ गति से झाडियों में
छुपने की कोशिश कर रहा था
तपिश भरी गर्मी की ऋतु है यह
समुद्र किनारे धूप सेंकते
लोगों की देह पर स्पन्दित बालू
जहाँ सूर्य तीर्थयात्रियों को
अपने तीखे ताप से झुलसा रहा है,
सन्तप्त कर रहा है
गिरिजाघर का संरक्षक संत
अपनी धार्मिक गुरुता के
धैर्य और शान्त आवरण तले
वैराग और तटस्थता से सोचमे डूबा है
आह ! तमतमाया हुआ यह ग्रीष्मकाल
उधर लड़खडाता, डगमगाता, पतझड़
खामोशी ओढ़े हुए है
उदास और संजीदा है
अलमारियों में छुपी रहने वाली
मकडी के तिकोने से जाले
कमरों में इधर-उधर झूल रहे है
चर्च के बगली रास्ते में
संकरे गलियारे में बिल्ली बैठी हुई
जम्भाई ले रही है
खिडकियों से दूर तक लहराते
मखमली हरे चारागाह नज़र आ रहे हैं
सागर की लहरों पर सर्फिंग करने वाले
लोग एक दूसरे की ओर बढ़ रहे हैं
नारी देह को देखने की लोभी आँखे,
बार-बार बिकनी बालाओं पर जा रही है
खैर, गर्मी का खुश्क मौसम है यह
सो, लम्बे दिन के बाद शाम होने तक
विधुर पंछी भी एक उम्दा ख्याल की तरह
अपने पंख खोल कर पसारता है
स्याह अँधेरे को गौर देखते हुए
और दिन का सत्कार सा करते हुए
और एक वृक्ष पर जा बैठता है ...!!
(Translation into Hindi: Deepti Gupta )